Posted on 21 May, 2018 04:50 am

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कांस में लांच हिंदुस्तानी तहजीब की तस्वीर

पत्रकार से फिल्मकार बने निर्देशक जैगम इमाम की तीसरी फिल्म नक्काश का पोस्टर कांस फिल्म फेस्टिवल में लांच होने के साथ ही चर्चा में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म के पहले पोस्टर में बनारस के मंदिरों और गंगा आरती के साथ एक मुस्लिम व्यक्ति को दिखाया गया है जिसे सोशल मीडिया पर अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।  जैगम इमाम का कहना है कि उनकी ये फिल्म न सिर्फ भारतीयता के पैमाने पर खरी उतरेगी बल्कि हिंदू मुस्लिम संबंधों पर मील का पत्थर साबित होगी।  नक्काश का पहला लुक दुनिया के सबसे बड़े फिल्मी मेले कांस फिल्म फेस्टिवल के इंडिया पैवेलियन में लांच किया गया। सूचना प्रसारण मंत्रालय की देख रेख में चलने वाले इंडिया पैवेलियन में ऐसी फिल्मों को बढ़ावा दिया जाता है जो भारत की कला और संस्कृति को बढ़ावा देती हैं। नक्काश को कांस में मौजूद भारतीय सेलिब्रिटीज की ओर से भी खूब सराहा गया। इस फिल्म में ईनामुल हक, शारिब हाशमी और कुमुद मिश्रा जैसे दिग्गज कलाकार हैं जो इससे पहले फिल्मिस्तान में अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं।  नक्काश के निर्माता जैगम इमाम, पवन तिवारी और पद्मजा पिक्चर्स के गोविंद गोयल है। फिल्म के फर्स्ट लुक को कांस में लांच किए जाने के बारे में जैगम कहते हैं कि नक्काश न सिर्फ एक संवेदनशील फिल्म है बल्कि कई मायनों में भारत की संस्कृति और कला को भी दर्शाती है। कांस में दुनिया भर के फिल्मकार, निर्माता, निर्देशक और फिल्मी कंपनियां आती हैं हम कांस के जरिए लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं।

जैगम इमाम ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत दोजख इन सर्च आफ हेवेन नाम की फिल्म से की थी जो कि उनके खुद के उपन्यास दोजख पर आधारित थी। दोजख को दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स में सराहना मिली। इसके बाद उन्होंने मदरसा के बारे में एक फिल्म अलिफ बनाई जिसने काफी चर्चा बटोरी। सोशल इश्यूज़ को बारीकी से उठाने वाले डायरेक्टर जैगम इमाम की ये तीसरी फिल्म है जो बनारस की पृष्ठभूमि पर है। बनारस पर एक बाद एक तीन फिल्में बनाने के बारे में जैगम कहते हैं कि मैं बनारस से हूं और बनारस की कहानियां मुझे आकर्षित करती हैं। बनारस में भारतीयता और भाईचारे का एक अद्भुत रंग है जिसके बारे में हर किसी को जानना चाहिए। नक्काश बनारस में रहने वाले एक एक ऐसे मुस्लिम कारीगर की कहानी है जो मंदिरों में नक्काशी का काम करता है है। बदलते मजहबी हालात और राजनीति उसकी जिंदगी पर कितना असर डालती है यही इस फिल्म में दिखाया गया है। जैगम का दावा है कि हिंदू मुस्लिम रिश्तों के बारीक रंग और सोशल तानेबाने की ऐसी कहानी दर्शकों ने अभी तक नहीं देखी होगी। उनका ये भी कहना है कि कांस में जिस तरह का रिस्पांस मिला उससे हम खासे उत्साहित हैं, इंडिया में भी हमें काफी अच्छे रिस्पांस की उम्मीद है।