Posted on 01 Jan, 1970 05:30 am

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बड़ी देसी लाइफस्टाइल है नवाज की

नवाजुद्दीन सिद्दीकी  बोलीवुड के एक ऐसे अदाकार हैं जो बिना संदेह हर भूमिका को आसानी से निभा लेते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि हिंदी फिल्म उद्योग का यह बेहतरीन और बहुमुखी प्रतिभा का धनी फ़नकार अपने किरदार को निभाने के लिए क्य़ा तरीका अपनाता है? आइये आज हम खुद नवाज़ की ज़ुबानी यह कहानी सुनाते हैं मैने कुछ इतने डार्क किरदार निभाये हैं,कि मुझे कई बार यह समझ में नही आता की क्य़ा ऐसे किरदार असल जिंदगी में भी होते हैं। उन किरदारों की सोच और बर्ताव मुझसे बिलकुल भी मेल नही खाते। कुछ डार्क किरदार निभाने के बाद वह मुझे इतना मानसिक रूप से थका देते हैं, कि ऐसा लगता है , जैसे यार, मेरे पास तो अपने जज्बात ही नही हैं।

ऐसे किरदारों से बाहर निकलकर सामान्य होने के लिए भी नवाजुद्दिन के पास एक अलग उपाय होता हैं। वह कहते हैं, मैं अपने गांव वापस जाता हूँ। मेरे गांव की मिट्टी मुझे नॉर्मल रूटिन में वापस आने में मदद करती हैं। मेरी फिल्म ‘रमन राघव 2.0’ के किरदार का ही उदाहरण लिजीयें। इस किरदार ने मुझे मानसिक रूप से काफी थका दिया था। इस फिल्म को पूरा करने के बाद में गांव लौटा। तब सरसों की खेती चल रहीं थी। मैंने अपने खेतों में काम किया। मुझे थोडा बेहतर लगने लगा। यह सारे पैतरे ही मुझे, अपनी जडों से जोड़े रखतें हैं।“

क्या उनकी लोकप्रियता के कारण गांव के लोग उन्हें इतने आराम से खेती करने देते हैं? धरती से जुड़े एक्टर नवाज कहतें हैं, दो दिन बाद वह मुझसे सामान्य बर्ताव करने लगतें हैं। जब मैं तपती धुप में खेत में अपना पसीना बहाता हूँ। तो पसीने के साथ, जैसे मेरा सारा स्टारडम भी पिघल जाता हैं।“ उल्लेखनीय है कि नवाज़ुद्दीन का सम्बन्ध उत्तर प्रदेश से है और उन्होंने वर्षों के संघर्ष के बाद फ़िल्मी दुनिया में यह स्थान बनाया है.