Posted on 07 Mar, 2019 04:20 pm

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अपेक्षा फिल्म्स द्वारा

अंतररष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुंबई के अंधेरी में स्थित रहेजा क्लासिक क्लब में अपेक्षा फिल्म्स द्वारा एक शानदार प्रोग्राम का आयोजन किया गया। अपेक्षा फिल्म्स के अजय जयसवाल ने इंटरनेशनल वूमेंस वीक को प्रस्तुत किया जहां हर क्षेत्र में अपने हुनर से नाम रौशन करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया, साथ ही यहां कुछ बेहतरीन परफॉर्मेंस भी देखने को मिली।

आपको बता दें कि इस इवेंट के डायरेक्टर केशव राय थे जबकि इसका आयोजन विश्व हिंदी अकादमी के सहयोग से किया गया। देवमणि पांडेय ने इस प्रोग्राम को बखूबी निभाया जबकि यहां कविता सेठ, डॉ सोमा घोष और अनुराधा पाल की परफॉर्मेंस से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इस अवसर पर कई सेलेब्रिटी गेस्ट के रूप में मौजूद थे जिनमें खालिद सिद्दीकी, शावर अली, विंदू दारा सिंह, शहबाज खान, मुकेश ऋषि, कविता सेठ इत्यादि के नाम उललेखनीय हैं।

 यहां आभा सिंह, रेखा निगम और रेखा खान ने अपनी स्पीक से सबको प्रेरित किया। रेखा निगम ने यहां बताया कि किस तरह उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा और वहां हिंदी में लिखना शुरू किया। उन्होंने कहा कि पहले एड की दुनिया में अंग्रेजी का आतंक था और ऐसे माहौल में उन्होंने झांसी की रानी की तरह हिंदी को फैलाने का निर्णय लिया और इसके लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। मगर आखिर में   विज्ञापन जगत में हिंदी की अहमियत और लेखक की अहमियत को माना गया और आज हालत यह हो गई कि अगर किसी को हिंदी नहीं आती तो उसके लिए विज्ञापन जगत में नौकरी मिलनी मुश्किल हो जाती है।

परिणीता जैसी कई फिल्में लिख चुकी रेखा निगम ने हालांकि यहां यह भी कहा कि फिल्मी दुनिया में लेखक की पोजिशन सबसे अंतिम होती है। सबसे ऊपर स्टार होता है, स्टार के बॉय की भी पूछ होती है। सोनी टीवी की प्रोग्रामिंग हेड रह चुकी रेखा निगम ने यहां यह भी कहा कि अक्सर लोग कह देते हैं कि आजकल टीवी पर किस तरह के धारावाहिक चल रहे हैं। डायन और नागिन जैसे सीरियल्स, लेकिन मैं कहती हूं कि आज भी बहुत सी औरतें ऐसी हैं जो घरों पर शाम से रात तक पति का इंतेज़ार करती हैं और वे ऐसे सीरियल्स देखती हैं। मुंबई जैसे बड़े शहरों में लगता है कि लोग २१ वीं या २२ वीं सदी में जी रहे हैं मगर देश में ऐसे गांव और छोटे शहर भी है जहां लोग आज भी १८ वीं और 19 वीं सदी में रहते हैं।

इस प्रोग्राम में कई कवित्रियों ने अपनी सुंदर कविताओं से सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। महिला दिवस के मौके पर सबने महिलाओं के दर्द, महिला सशक्तीकरण और एक दिन नहीं बल्कि रोज़ महिला दिवस होने की बात कही। यहां चित्रा देसाई, नेहा शरद, रेखा बब्बल, विभा रानी, मालती जोशी, गीता पंडित इत्यादि की कविताओं पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाईं।