Posted on 14 May, 2019 06:40 pm

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कैफी आजमी के जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम का आयोजन

संगीतकार दिलीप सेन,  संगीतकार कुलदीप सिंह, गायक जसविंदर सिंह और अभिनेता राजेंदर गुप्ता सहित कई हस्तियाँ प्रसिद्ध कवि और सामजिक कार्यकर्ता कैफी आजमी के शताब्दी समारोह के एक विशेष कार्यक्रम के लिए साथ आईं. कैफी आजमी के जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में उनके फन और शख्सियत पर आधारित एक कार्यक्रम 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो' का आयोजन लोखंडवाला कविता क्लब द्वारा किया गया था. 

इस विशेष शाम को कैफी आजमी की महानता और उनकी शायरी का ज़िक्र हुआ. कैफी साहब की कविताओं और गीतों की अहियत को माना गया. कैफी आजमी प्रसिद्ध उर्दू शायर थे, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ स्थित मिजवान में हुआ था. उन्होंने ‘औरत’ और ‘मकान’ सहित कई प्रभावशाली कविताएं लिखीं.

इस अवसर पर संगीतकार दिलीप सेन ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे कैफ़ी आज़मी के साथ काम करने का मौका मिला. फिल्म 'जाना न दिल से दूर' मेरी पहली फिल्म थी और कैफ़ी साहेब की अंतिम फिल्म थी. निर्माता निर्देशक विजय आनंद की इस फिल्म में देवानंद ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इसका एक गीत काफी मशहूर हुआ था 'तू चला जो अपनी तलाश में तो कहाँ कहाँ से गुज़र गया.'

संगीतकार कुलदीप सिंह ने इस अवसर पर कहा कि मुझे शायरी की जो थोड़ी सी भी समझ है वह कैफ़ी साहेब की कुर्बत की वजह से है. कैफ़ी आज़मी सिर्फ एक शायर या गीतकार नहीं बल्कि एक एक्टिविस्ट और सोशल वर्कर भी थे.' गायक जसविंदर सिंह ने कहा कि कैफ़ी आज़मी की शायरी को पढ़ और सुनकर हम सब ने काफी कुछ सीखा है समझा है उनकी शायरी ने हमें इंस्पायर किया है. कैफ़ी साहेब पर एक प्रोग्राम हम करते हैं 'कैफ़ी और मैं'. मेरी खुशकिस्मती है कि इस में मैं जावेद अख्तर और शबाना आज़मी जी के साथ परफोर्म करता हूँ. हमने इसके २०० शोज़ पूरी दुनिया में किये हैं. इस मौके पर मैं कैफ़ी साहेब के दो मिसरे सुनाना चाहूँगा. 'प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा, गम किसी दिल में सही गम को मिटाना होगा.'

दूरदर्शन के मशहूर शो 'चंद्रकांता' और आमिर खान की फिल्म 'लगान' से अपनी पहचान रखने वाले एक्टर राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मानता हूँ कि कैफ़ी आज़मी की याद में जिस कार्यक्रम का आयोजन किया गया मैं उसका हिस्सा हूँ. मुझे लगता है कि हमारी फ़िल्मी दुनिया में जितने बड़े गीतकार हैं उनमे से कैफ़ी साहेब उनमे से एक हैं. उन्होंने फ़िल्मी गीतों में भी शायरी को जिंदा रखा था और मैं उनको बहुत बहुत नमन करता हूँ.' 

इस मौके पर संचालक देवमणि पाण्डेय ने कहा कि कुछ ऐसे शायर जिन्हें सुन और पढ़कर हमने शायरी सीखी है उनमे कैफ़ी साहेब का भी शुमार होता है. हम उन्हें बेहद सम्मान देते हैं. वह इतने प्रतिभाशाली शायर थे कि उन्होंने ११ साल की उम्र में लिख दिया था 'इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े, हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े, जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म, यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े, एक तुम के तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ है, एक हम के चल पड़े तो बहरहाल चल पड़े, मुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह, जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े.' उन्होंने जो समाज सेवा की. मजदुर संगठनों के लिए काम किया उसे बेहद सराहा गया.'

अध्यक्ष केशव राय ने कहा कि लोखंडवाला कविता क्लब हर बार महान लोगों को याद करता रहा है. हम शायरों, कवियों और कलाकारों के सम्मान में प्रोग्राम का आयोजन करते हैं और कला में उनके योगदान को पेश किया जाता है. इस बार हमने कैफ़ी आज़मी साहेब की सेवाओं को याद किया और मुझे ख़ुशी है कि यह कार्यक्रम सफल रहा.आपको बता दें कि इस प्रोग्राम के संयोजक रवि यादव, अरुण शेखर और आयोजक अशोक शेखर और सतीश अग्रवाल थे.